अक्स और तस्वीर
अक्स और तस्वीर
वो मेरी अक्स भी है, मेरी तस्वीर भी है।
वो मेरी मुर्शिद भी, और मेरी पीर भी है,
उनकी हथेली पे कुछ ऐसी लकीर भी है।
जिससे ज़ाहिर है वो मेरी तक़दीर भी है,
हम दोनों हैं तो आसमाँ के आज़ाद परिंदे
और फिर मैं उनका वो मेरी जंजीर भी है,
सब के अपने फ़लसफ़े हैं अपने क़ायदे हैं।
लेकिन वो मेरी ख़्वाब भी है ताबीर भी है,
बहोत क़ीमती दौलत संजो लिया है मैंने
मेरी ख़ुशियाँ है,एक हसीन जागीर भी है,
मेरी सारी कविताओं में जो मौजूद है महक
कुछ तो उनकी ख़ुशबू कुछ तासीर भी है।