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Yogesh Suhagwati Goyal

Drama Fantasy

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Drama Fantasy

गोविन्द दर्शन

गोविन्द दर्शन

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कहते हैं जब तक भगवान का बुलावा नहीं आता,

कोई भी प्राणी उसके द्वार तक पहुँच नहीं पाता,

हम भी कुछ दिनों से गोविन्द को याद कर रहे थे,

पर बिना दर्शन लौटना ना पड़े सोचकर डर रहे थे।


बड़े दिनों के बाद हमें भी जब गोविन्द ने बुलाया,

ये अनमोल अवसर पाकर, मन फूला ना समाया,

हम "बनियों" के घर जन्मे विधि ने खेल रचाया,

"बनियों, बिगड़ियो मत", बचपन से रोज़ पढ़ाया।


गोविन्द के दर्शन किये, परिक्रमा की, आरती गायी,

तुलसी चंदन इत्र का प्रसाद लिया फिर ढोक लगाई,

मौके को अनुकूल समझ, मुलाकात को पूरा भुनाया,

प्रणाम करते-करते अपने आने का प्रयोजन बताया।


आशीर्वाद आपका दूसरी बिटिया भी हो गयी पराई,

गोविंद अब बेटे की सुध लो, नयी जिम्मेदारी आई,

लौटने से पहले पिछली कृपाओं का धन्यवाद किया,

आगे भी कृपा बनाये रखिये, हाथों हाथ माँग लिया।


जाने क्या सोच के गोविन्द, हमको बनिया बनाया,

और उसके ऊपर लेनदेन में, इतना निपुण बनाया,

“योगी” मैं बनिया सुनहरी अवसर कैसे चूक जाता,

तुझको धन्यवाद देकर, मैं खुद खाली हाथ आता।


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