गमले का मेरा गुलाब
गमले का मेरा गुलाब
उपवन में मेरे खिला
मेरे गमले का गुलाब,
कितना सुन्दर कितना प्यारा
सबको आकर्षण से बांधे।
कोमलता का उपमान
अकेला ही यह खिला,
भोला और सुकुमार।
पर महका दिया घर आँगन।
श्वेत गुलाबी कोर
मृदु नाज़ुक पंखुड़ियाँ ,
सब ओर सुगन्ध फैली
सबको उत्फुल्ल बनाये।
एक मुस्कान के लिये
बस यह खिलता है,
पर यह एक मुस्कान भी
कितनी दुर्लभ है जग में।
फूल मिस प्रकृति सीख देती
जहां हो वहीं खिलो, सफल बनो,
अपनी सुवास से सुवासित रहो और
सुवास सुवासित सृष्टि को करो।
