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Bikesh Kumar

Drama

2.5  

Bikesh Kumar

Drama

ग़म

ग़म

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कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं

वो तुम नहीं, वो हम नहीं


कोई ग़म को दिल मे छुपाये, हँस के जी रहा है

कोई मुकद्दर समझ के आँसुओं को पी रहा है

सिर्फ खुशी नहीं लिखी किसी के तकदीर में

हैं अपने भी दो आँसू अश्को के भीड़ में

ग़म के बिना सारी खुशियाँ भी अधूरी है

खुशी की कीमत समझने के लिये ग़म जरूरी है

कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं

वो तुम नहीं, वो हम नहीं


ग़म ना होता तो बरबादी के गीत कहाँ गुनगुनाते

यूँ दिल पे बोझ लिये फिर पीने तो नहीं आते

ग़म ना होता तो जीने का मजा नहीं आता

सबको खुशी मिलती तो दर्द कौन पाता

ग़म ना होता तो मयखाने ना बनते

ग़म ना होता तो पैमाने ना सजते

कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं

वो तुम नहीं, वो हम नहीं


गुलशन के गुल को कांटों की भी जरूरत होती है

कभी-कभी ग़म खुशियों से खुबसूरत होती है

कौन साथ है तेरे इस सफर में, पहचान लेता है

ग़म की अजब ही ये भी एक फितरत होती है

एक सिक्के का भी दो पहलु होता है

अगर ना हो तो वो सिक्का भी खोटा है

कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं

वो तुम नहीं, वो हम नहीं !


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