STORYMIRROR

Bikesh Kumar

Drama Tragedy

2.5  

Bikesh Kumar

Drama Tragedy

क्या हम आज़ाद हैं ?

क्या हम आज़ाद हैं ?

2 mins
14.3K


क्या इन्कलाब जिन्दाबाद है

ज़रा सोच के देखो क्या हम आज़ाद हैं ?


भगत सिंघ ने सूली चढ़कर, जीने का नया ख्वाब दिया

बापू ने अहिंसा के सहारे देश को आजाद किया

फिर छोड़ गये देश को नेताओं के हाथों में

अपने फायदे के खातिर जिन्होने देश को बरबाद किया

पहले अंग्रेजों कि गुलामी मे थे सहमे से डरे हुये

अब नेताओं कि पोलिटिक्स कि जंजीर मे हैं जड़े हुये

जो हाल पहले था, वही हाल बाद है

ज़रा सोच के देखो क्या हम आज़ाद हैं ?


आपस मे लड़ रहे हैं सिख-ईसाई

एक दूजे को काट रहे हैं हिंदू-मुसलमान

बाइबल और गुरु ग्रंथ सहिब इनको समझ नहीं आयी

ना हि समझ आयी इनको गीता और कुरान

धर्म और जात के नाम पे बहा रहे आज खून हैं

इंसान, इंसान को मार रहा है, कैसा ये जुनून है

आपस मे लड़ के हो रहे हम बरबाद हैं

ज़रा सोच के देखो क्या हम आज़ाद हैं ?


भूखे नंगे बच्चे, हैं सड़क पर बेघर

जिनके सर पे छत है, है उनके मन में भी डर

जुर्म की इस दुनिया में सब डर-डर के जीते हैं

और जुर्म करने वाले शान से जी रहे हैं निडर

जिहाद के नाम पे लोगों को यहाँ बहकाया जाता है

सारे गुनाह फिर उनके हाथों करवाया जाता है

क्यों हो रहा हावी हम पे आतंकवाद है

अब तो समझो की हम नहीं आजाद हैं !


अंधकार कि रात ख़त्म होगी, कभी ये सूरज निकलेगा

कभी तो आजादी कि किरणों से देश ये मेरा चमकेगा

कभी तो देश के हर कोने में खुशहाली आयेगी

कभी तो गिरते-गिरते मेरा देश ये सम्भ्लेगा

ना किसी का डर हो, ना किसी से बैर

हर कोई अपना हो, ना रहे कोई गैर

मैंने... हम सब ने देखा ये ख्वाब है

कभी तो हम कहेँगे, हाँ हम आजाद हैं

हाँ हम आजाद हैं...!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama