लाख मिन्नतें...
लाख मिन्नतें...
लाख मिन्नतें कि मैंने खुदा से,
तो उसने मेरी मिन्नतों को स्वीकार किया,
मैने माँगा था एक परी को मिन्नतों मे,
तो उसने आपको जमीन पे उतार दिया,
खुदा की कोई खुबसूरत कारीगरी हो आप,
बड़ी फुरसत से उसने आपको तैयार किया,
जिसने भी देखा एक नज़र आपको,
उसने बस आप से ही प्यार किया,
और हम भी शामिल हैं आपके दीवानों मे,
हमने कब इस बात से इनकार किया,
आपकी एक झलक देखने के बाद,
चाँद कि जगह हर रात आपका दीदार किया,
हमने तो बस आप से हिं प्यार किया...
हमने तो बस आप से हिं प्यार किया...!