मुसाफिर चल चला चल...
मुसाफिर चल चला चल...
बढ़ाये जा तू कदम, चाहे मिले खुशियाँ या ग़म
रुकना नहीं है कभी, चलना ही है तुम्हे हरदम
रास्ते अनेक हैं, तुझे चुनना एक है
चलना उस राह पे तू, लगे जो राह नेक है
चाहे फूलों की सेज हो, या कांटों का दर्द हो
रुकना नहीं है तुझे चाहे रातें बर्फीली सर्द हो
ना रोके कोई दीवार तुझे, ना रोके कोई पहाड़ तुझे
हिम्मत से करना है, हर कठिनाई को पार तुझे
मंजिल तुम्हारे सामने है, उसकी ओर चलते रहो
पीछे मत देखो मुड़ के, बस आगे को बढ़ते रहो
रुकना मतलब मौत है, चलना ही है जिन्दगी
कर फैसला तू आज, मौत चाहिये या जिन्दगी...!