गलती कहां हो गई?
गलती कहां हो गई?
हर सुबह होती है
एक नए दिन की शुरुआत
कुछ नया हो, सब अच्छा हो
जाने कितने होते हैं आस
हर ख्वाहिश की पूरी होने की
मन में होता है विश्वास
हर कोशिश कामयाब हो
रहती है इसकी प्यास ।
फिर भी जाने किसलिए
होता है यह एहसास
वक्त कम था
और ख्वाहिशें कई
पूरी करने की कोशिशें कई
पर बंधन कई और बंदिशें नई !
फिर दिन ढला और आंखे नम हुई
और सारी दुनिया जब शो गई
अधूरी रातें पूछती है मुझे
बतादे गलती कहां हो गई ?