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Dr.Purnima Rai

Tragedy

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Dr.Purnima Rai

Tragedy

गज़ल

गज़ल

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हर तरफ जुल्म -ओ-सितम का नाच होता है।

इंसानियत का रोज कत्ल-ए-आम होता है।।

क्या मिला है क्या मिलेगा सोच ले तू ए बशर

हर तरफ कण-कण में सच्चा राम होता है।।


खाली हाथों से उठेगा वक्त का बीड़ा नहीं,

हुनर के दम पर ही जग में नाम होता है।।

घुल गया क्यों ज़हर इतना आज रिश्तों में,

रिश्ते नातों से ही तो आवाम होता है।।


फीकी पड़ गई चांद की भी चांदनी अब तो

स्वार्थ में आकर बुरा हर काम होता है।।

भोर की पहली किरण भी रो रही हर पल,

"पूर्णिमा" क्यों कृष्ण भी बदनाम होता है।।



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