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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

चाँदनी रात के साथ शमा जलती रही

चाँदनी रात के साथ शमा जलती रही

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चाँदनी रात के साथ शमा जलती रही,

दिल तड़पता रहा, रूह मचलती रही!


आँखों से लाख दरिये बहे मगर फिर भी,

ना बुझी आग सीने में, शमा जलती रही!


हमने सोचा था शायद सुकून मिल सके,

इक ख्वाहिश थी जो दिल में पलती रही!


दोस्ती, फिर इश्क, फिर रूहानी रिश्ता,

साथ तेरे रहते रहते, शय बदलती रही!


राह-ए-इश्क में तलाश जब से थी तेरी,

इक तेरी याद थी जो साथ चलती रही!


उफनते सैलाब में बह गए सारे रिश्ते

वो शमा थी...पिघलती रही, पिघलाती रही!,


मिलने की उम्मीद तो अब नहीं शायद

पर ख्वाबों में हर रात वो मिलती रही मिलती रही


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