कान्हा
कान्हा
कान्हा कान्हा मन पुकारे, राह निहारूँ तेरी।
रहूँ सदा मैं संग तुम्हारे, बन जाऊँ मुरली तेरी।
हृदय व्याकुल रहता हर पल, तुम बिन गिरधर
थाम लो अपनी बाँहों में, मत तड़पाओ मुरलीधर।
दूर कर दो पीर प्रीत की, अब आकर मेरे पास।
जीना है संग तुम्हारे मोहन, यही मन की आस।
मन भीगा तेरी यादों में, कण कण हुआ श्यामल।
तेरे नाम की कंगन चूड़ियाँ, ये बिंदी और काजल।

