इश्क
इश्क
इश्क में खुद को जलाकर देखा है
इश्क में चोट खा कर देखा है
कर डालते है बरबाद हुस्न वाले हमने दिल लगा कर देखा है
बड़ा खुदगर्ज है जमाना हमने अपनो को आजमा कर देखा है
घटता नहीं है अश्क का सागर हमने हर रोज आंसू बहा कर देखा है
छोड़ दिया अपनो का साथ
एक हमसफर के लिए एक ऐसा हमसफर बना कर देखा है ............
जो हकीकत ही बन जाए ख्वाब वो सपना सजा कर देखा है

