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Bushra Wasim

Tragedy

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Bushra Wasim

Tragedy

रोने से कोई किसी का नहीं होता

रोने से कोई किसी का नहीं होता

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रोना बहुत आ रहा है ..आज आंखें से आंसू ही नहीं रुक रहे है।बस बेवजह मूसलाधार बरस रहे है।मानो आज सब बहा के ले जाना चाहते हो अपने संग।

सारे दुःख सारे दर्द सारी परेशानियां 

वो प्यार भी,जो उसके लिए मेरे मन के एक एक कोने में बसा हुआ है।उस उम्मीद को भी बहा ले जाना चाहते है,जो कहती है एक दिन उसका दिल बदलेगा,एक दिन वो ख़ुद बदलेगा।एक दिन वो लौट आएगा।

सुना है चाहत हो तो रेगिस्तान में भी फूल खिलाया जा सकता है।पर अब लगता है ये सिर्फ कहने भर की बाते हैं।आँखे जब भी बरसती वो कहता है रोना बंद करो…

"रोने से कोई किसी का हो नहीं जाता।

ठीक ही तो कहा करता है। रोने से कोई किसी का नहीं होता।

पर दिल करता है पूछूँ....

कहो ना….कैसे कोई किसी का हो जाता है।मैं वही सब कर लुंगी...

बस मेरे हो जाओ...

पर ख़ामोशी को चुना मैंने।कुछ और टूटे,इससे बेहतर था खामोशी,जो भी टूटा मन के अंदर ही टूटा..

कितनी अजीब है ना मुहब्बत भी सारी दुनियां की मुहब्बत एक तरफ और उसकी बेरुखी एक तरफ....

 दिल भी ना कब किस को अपना लेता है आपको पता भी नही चलता बस उस एक शक्स के लिए बेवजह बेसबाब बस उसी के लिए धड़क ता है।

ये दिल भी ना! मुस्कुराहट की जगह आंसू चुन लेता है।लोग कहते है किसी के लिए अपने आंसू जाया करना बेवकूफी है। आपने आंसू जाया मत करो पर इस दिल का किया करे जो मुस्कुराहट की जगह आंसू चुन बैठा है।


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