जागो तो ठीक
जागो तो ठीक
आखिर मिट्टी मिल जाना है,
नाहक तेरा अभिमाना है।।
या तो कब्र खुदेगी तेरी,
या पावक में जल जाना है।।
टोपी पहनेगा या पगड़ी,
बस दिखावे का जमाना है।।
जिस धरम में मानवता न हो,
जग उसको मारे ताना है।।
तुम जागो अथवा ना जागो,
मेरा काम तो जगाना है।।
हर रूप में वह परमेश्वर है,
पर कौन यहाँ पहचाना है।।
दाने--दाने पर नाम लिखा,
'परिंदा' जहाँ पर दाना है।।