शीर्षक:कभी तो…..
शीर्षक:कभी तो…..
कभी तो हंसाया होता तुमने
कभी तो रुलाया होता तुमने
कभी तो झगड़ा किया होता तुमसे
कभी तो गिला शिकवा किया होता तुमसे
मुझे तो कोई शिकवा नहीं तुमसे
मुझे तो कोई शिकायत भी नहीं तुमसे।
कभी तो दूर किया होता तुमने
कभी तो पास बुलाया होता तुमने
कभी तो करीब समझा होता तुमने
कभी तो कुछ मान दिया होता तुमने
मुझे तो कोई शिकवा नहीं तुमसे
मुझे तो कोई शिकायत भी नहीं तुमसे।
कभी अपना ही नहीं समझा तुमने
कभी बेगाना भी नहीं किया तुमने
कभी कुछ बताया भी नहीं तुमने
कभी कुछ समझा ही नहीं तुमने
मुझे तो कोई शिकवा नहीं तुमसे
मुझे तो कोई शिकायत भी नहीं तुमसे।
"मंजु को कोई गिला नहीं तुमसे"