समझा नहीं नयनों के इशारे
समझा नहीं नयनों के इशारे
लौट कर फिर आऊंगी
बस इसी इंतज़ार में वह आज भी
उम्मीदों की छांव में बैठा है
कभी ख़ुद को समझाता है तो
कभी अपने पैबंद लगे उधेड़ हालात को
करे भी तो क्या करे
कोई रास्ता भी तो सूझता नहीं उसे
समझाया तो बहुत था मगर
समझा नहीं है नयनों के इशारे
दीवाना जो हो गया है मेरे प्यार में
मैं भी तो थी दीवानी उसकी दीवानगी में
मगर मालूम था मुझे कि
मैं पंछी किसी और डाल की
मेरी सांसें, मेरी धड़कनें, मेरी चाहतें
किसी और की अमानत हैं
काश! समझ पाता ये भंवरा कि
हर कली यहाँ मचलती है अपने भंवरे के लिए
वो प्यार भी क्या जो तड़पे हर किसी के लिए
उसकी दीवानगी भी देखी है
उसकी नाराजगी भी देखी है
देखी है आज उसकी नादानी भी
शायद जानता तो वह भी होगा कि
उसकी ज़िन्दगी में मेरा आना मुमकिन नहीं
करता है फिर भी इंतज़ार कि
इंतज़ार के समंदर से हिलोरें मारकर एक दिन
उम्मीदों की कोई लहर ज़रूर आयेगी।