आखरी वफा
आखरी वफा
देख मुझको कफ़न में, क्या आओगे तुम।
आंसू मेरी मौत पर, क्या बहाओगे तुम।
बीच कांटों के ताउम्र जीता रहा
फूल अर्थी पर मेरी क्या, चढ़ाओगे तुम।
सजाई है तुमने तो, गैरों की महफ़िल
लाश को भी मेरी क्या, सजाओगे तुम ।
उमर भर तो वफा को, तरसता रहा।
वफा आखरी क्या ,निभाओगे तुम।
जलाया है तुमने, मेरा दिल हमेशा ।
चिता भी मेरी अब, जलाओगे तुम ।