गिलहरियाँ चिनार वृक्ष पर
गिलहरियाँ चिनार वृक्ष पर
चिनार एक सुन्दर आकर्षक मनोहारी पेड़
कश्मीर और पश्चिम हिमालय में ये उगते,
लाल गहरे पीले और पीले रंग के पल्लव
अद्भुत सौन्दर्य की सृष्टि हरे के साथ करते।
चिनार वृक्ष बहुत लम्बे समय तक रहता
और फैले हुए मुकुट के लिए जाना जाता,
चिनार के पत्ते मौसम के हिसाब से रंग बदलते
इसके पत्ते गर्मियों में गहरे हरे रंग के होते।
पतझड़ के मौसम में इसके पत्ते रंग बदलते
पहिले रक्त की तरह लाल रंग के पत्ते होते
फिर गहरे पीले और पीले रंग में बदल जाते
चिनार की खूबसूरती को ये रंग और बढ़ा देते।
वृक्षारोही गिलहरियाँ दिन भर इस पेड़ पर रहती हैं
भोजन के लिये पतझड़ में पेड़ की कलियॉं लेती है
गिलहरियों की भंगिमा और गति का तथा वृक्ष का
चित्र चित्रकार की कुशल तूलिका से सुन्दर हुआ है।
चित्रकार अबू हसन का बनाया यह चिनार चित्र
उनका 1610 में बना विपुल प्रसिद्धि प्राप्त चित्र है,
मुग़ल बादशाह जहॉंगीर ने उनको “युग का आश्चर्य” का
सम्मान उनकी चित्र- कला के लिये नवाज़ा था।
चित्र में कुछ छोटी यूरोपियन गिलहरियॉं चिनार पेड़ पर
उछलती फुदकती अलग मुद्राओं में नज़र आ रही हैं,
पास में घास के मैदान में तीन- चार हिरन घूम रहे हैं
एक आदमी पेड़ की गिलहरियों को निहार रहा है।
