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Nir Delhi

Romance

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Nir Delhi

Romance

घुटन

घुटन

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मेरी घुटन को कौन समझे

मैं हर पल मर रहा हूँ

चेहरे पर है हँसी

मैं दिल से रो रहा हूँ


कौन सी बात बता कर

दिल को मैं हलका करूँ

दिल खुद का ही

कुलीव बन गया है

इसे मंज़िल क्या दूँ


जो नही है मेरी

उसको याद कर रोता हूँ

सुनता कुछ भी नही

बीते पल लिख कर सुनाता हूँ


कसम खाकर मैं अब

तोड़ देता हूँ

पर उससे करे वादे

अभी भी निभाता हूँ

दिल पागल है,

रो जाता हूँ


समझ नही आता

मेरा दिल क्या चाहता है

दूरी वो रखना चाहती है

दिल पास क्यो जाना

चाहता है


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