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कलम

कलम

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रूक जा कलम मेरी

बातें कुछ तो मान ले

वो मुझे भूल गए

उसका नाम ना ले


प्यार का नाम वो

नहीं समझती

प्यार कि बातों से

उसकी ना बातों को

पहचान ले

मेरी कलम उसका

अब ना नाम ले


हाँ उसके बिना

कुछ लिखा जाता नही

पर तुम कुछ तो समझ

उसका प्यार

समझ आता नही


कलम तेरे बहुत से काम है

दुनिया बहुत बड़ी है

दुनिया को तू लिख

कलम तू सुन ना मेरे दिल कि

उसकी बेरूखी को कुछ

तो समझ


कलम कलम कुछ तो

दिमाग कि सुन

दिल तो पागल है

इस पागल कि तू

अब तू मत सुन

रूक ना कलम रूक जा



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