एक डर
एक डर
तुझे डर लग रहा है
प्यार का तुझे इल्म नहीं
प्यार हो जाएगा तुझे तो
डर का नाम भी याद नहीं।
कौन कहाँ है
तुझे कौन देख रहा है
होश नहीं रहेगा
मदहोश हो जाएगी
दिल को चैन नहीं रहेगा।
मेरी आवाज सुनकर
दौड़ी चली आएगी
मैं ना दिखूँगा तू बैचेन
हो जाएगी।
डर का नाम तुम भूल जाओगी
प्यार कि दुनिया मे जो आएगी
यहाँ जमीं आसमां
भूख प्यास रिश्ते
सब भूल जाएगी।
डर क्या होता है
डर का नाम भूल जाएगी
मेरी बाहों में ही
तुझे अपनी जन्नत नजर आएगी।
मोहब्बत की दुनिया में जो
तुम अगर आ जाओगी
डर का नाम भूल जाओगी।।

