भ्रम
भ्रम


देर हो गई
रेलगाड़ी अभी भी नहीं आई
और स्टेशन पर अब कोई शख़्स
दिखता भी नहीं है
कहीं मैं गलत प्लेटफार्म
पर तो नहीं खड़ा हूँ
चलो पूछताछ केंद्र में बात करते है
अरे यहाँ भी कोई नहीं है
विचार विमर्श
में खड़ा था
कान में अचानक आवाज़ आई
भाई साहेब रास्ता दो
मैने कहा चलो कोई तो मिला
मैं उससे रेलगाड़ी के बारे
में पूछने लगा
ना जाने क्यो
वो मुझे देखे ही जा रहा था
मैने फिर पूछा ,
वो बोला साहेब पी रखी है क्या
यहाँ कोई रेलवे स्टेशन नहीं है
यहाँ तो एक सड़क है
मेरी आँखो के सामने कुछ कुछ साफ हुआ
मैंने सफर शुरू किया ही नहीं
तो रेलगाड़ी तक कहाँ से पहुँचता