बेबस दोस्त
बेबस दोस्त
शहर में नहीं था
वो शहर छोड़े जा रही थी
दोस्त की आँखें उसे देख
नम होती जा रही थी।
ख्याल दोस्त को
मेरा आ रहा था
मेरी मोहब्बत जो
शहर छोड़े जा रही थी।
मुझे दोस्त बताता कैसे
मेरी आँखों को नम करता कैसे
वो मेरी जिंदगी को
उजाड़ने की बात मुझे बताता कैसे।
ठहर गया दोस्त मेरा
वो राह पर चलता कैसे
सोच में बैठा दोस्त
मुझे याद कर रहा था।
जो किये थे वादे
वो याद कर रहा था
मेरा दोस्त जंमी में
धीरे-धीरे मिला रहा था।
वो मुझे कुछ बता नहीं
पा रहा था
मेरी जिंदगी जो
मेरा शहर छोड़े
जा रही थी।
अपने पीछे धूल
उड़ाए जा रही थी
कोई पीछा ना कर ले
उसका वो निशां भी
मिटाए जा रही थी।।

