घोंसला
घोंसला
कबूतरों का बेतरतीब आशियाना ढूँढना।
कभी इस घर तो कभी उस घर से भगाया जाना।
असहनीय पीड़ा घोंसला न बना पाने की।
देख जब मैंने एक गमला खाली रख दिया।
दूसरे ही दिन दो सुंदर अंडों से आशियाना सज गया।
अपने अंडों को सहेजती, गर्माती कबूतरी को ,
भय से बार-बार फड़फड़ाते देखा।
उत्सुकता वश मैंने बार-बार देखा।
कबूतरी उड़कर दूर जा बैठी मुझे ताकती रही।
मैं दाना पानी डालकर चली गई।
फिर उत्सुकतावश देखा इस बार वह और भी घबरा गई।
सोचा वो समझेगी मुझे संरक्षक।
पर उसी समय चूजों के साथ ओझल हो गई ,
समझ मुझे भक्षक।
उसी दिन फिर नया आशियाना बना।
इस बार न देखने का संकल्प लिया।
छिपते-छिपाते दाना-पानी रखा
पर फिर भी आशियाना जल्द ही खाली हो गया।
रास नहीं आया उन्हें बनावटी आशियाना।
फिर दरख्तों की खोज में निकल पड़े,
चारों बनाने अपना वास्तविक आशियाना।।