ग़ज़ल
ग़ज़ल
चंद महीने ही गुज़रे हैं हो गए सब बेहाल
जाने कैसा गुजरेगा अब ये पूरा साल
आंधी ,तूफां,भूकम्प,टिड्डी और वबा का जाल
कितनी आफ़त लेकर आया ये करोना काल
सड़कों पर है भूखी जनता छोटे बच्चों नाल
आंखें मूंदे बैठे हाकिम किससे करें सवाल
बन्द पड़े हैं कल कारखाने ऑफिस अर टकसाल
रोजी रोटी छिन गयी सबकी कोई न पूछे हाल
सड़कों पे बच्चों को जनती औरत का ये हाल
संसद वाली महिलाओं की मोटी हो गयी खाल
या रब सारी आफ़त से करदे कोई ढाल
अब तो अपनी दुनिया को तू ही ले संभाल।
