STORYMIRROR

Gazala Tabassum

Abstract

4  

Gazala Tabassum

Abstract

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
180

कहो तो मैं मुहब्बत का करूँ इक़रार होली में

है मुद्दत से मेरी ख्वाहिश मिलूं इक बार होली में


लगाऊं रंग मैं तुझको गले लग के बधाई दूं

कहे हंस के तू भी मुझसे, तेरी दरकार होली में


चलो इक जंग उल्फ़त की लड़ी जाए मुहब्बत से

भरे हथियार हों रंग से, हो रंग से वार होली में


कहानी भी हो होली पे, सभी अल्फ़ाज़ रंगीं हों

रंगा हो प्यार के रंग से हर इक किरदार होली में


शिकायत को भुला कर अब मिलाओ हाथ उल्फ़त से

उठाओ रंग हाथों में, रखो तलवार होली में


न कोई मजहबी रंजिश, सियासत की न बातें हों

भरे हों प्यार की खबरों से सब अख़बार होली में


लगा लो प्यार से कोई लगाए रंग आकर जो

रहें न नफ़रतें बाक़ी, न हों तकरार होली में


मयस्सर हो खुशी सबको, हर इक लब पे तबस्सुम हो

हर इक ज़र्रा मेरे भारत का हो अनवार होली में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract