ग़ज़ल
ग़ज़ल
कहो तो मैं मुहब्बत का करूँ इक़रार होली में
है मुद्दत से मेरी ख्वाहिश मिलूं इक बार होली में
लगाऊं रंग मैं तुझको गले लग के बधाई दूं
कहे हंस के तू भी मुझसे, तेरी दरकार होली में
चलो इक जंग उल्फ़त की लड़ी जाए मुहब्बत से
भरे हथियार हों रंग से, हो रंग से वार होली में
कहानी भी हो होली पे, सभी अल्फ़ाज़ रंगीं हों
रंगा हो प्यार के रंग से हर इक किरदार होली में
शिकायत को भुला कर अब मिलाओ हाथ उल्फ़त से
उठाओ रंग हाथों में, रखो तलवार होली में
न कोई मजहबी रंजिश, सियासत की न बातें हों
भरे हों प्यार की खबरों से सब अख़बार होली में
लगा लो प्यार से कोई लगाए रंग आकर जो
रहें न नफ़रतें बाक़ी, न हों तकरार होली में
मयस्सर हो खुशी सबको, हर इक लब पे तबस्सुम हो
हर इक ज़र्रा मेरे भारत का हो अनवार होली में।