ग़ज़ल
ग़ज़ल
मेरे वो साल महीने ,मुझे वापस कर दे
साथ गुजरे हुए लम्हे मुझे वापस कर दे
खून से लिख्खे वो सफ़हे, मुझे वापस कर दे
मेरे ख़त के सभी टुकड़े मुझे वापस कर दे
तन्हा रातों में चमक उसकी रखेगी ज़िन्दा
कुछ तो यादों के सितारे मुझे वापस कर दे
इल्तिज़ा सुन ले मेरी वक़्त, इनायत होगी
खो गए हैं जो भी चेहरे मुझे वापस कर दे।
दरमियाँ बढ़ती दरारों को मुझे करना है रफ़ू
कुछ यकीं के मेरे धागे मुझे वापस कर दे
ख़ूब संभाल के रखना है सदा तेरा पता
ख़त को तू रख ले ,लिफ़ाफ़े मुझे वापस कर दे
मिल्कियत सारी मेरी रख ले समझ कर तोहफ़ा
मेरी माँ के सभी गहने मुझे वापस कर दे
मुझको लड़ना है जफ़ाओं के भंवर से तेरी
मेरी उल्फ़त के सफीने मुझे वापस कर दे।