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हिंदी दिवस पर चार सू हिंदी यूं छाई है जैसे कि उसकी आज हुई रुनुमाई है। हिंदी दिवस पर चार सू हिंदी यूं छाई है जैसे कि उसकी आज हुई रुनुमाई है।
किसी भी चीज की होती नहीं तलब दिल को दुआ को हाथ उठे ही नहीं हैं मुद्दत से। किसी भी चीज की होती नहीं तलब दिल को दुआ को हाथ उठे ही नहीं हैं मुद्दत से।
हर इक ज़र्रा मेरे भारत का हो अनवार होली में। हर इक ज़र्रा मेरे भारत का हो अनवार होली में।
खुश थे हम भी खुशी बनाते हुए आपको ज़िन्दगी बनाते हुए। खुश थे हम भी खुशी बनाते हुए आपको ज़िन्दगी बनाते हुए।
क्यों तुझको समझ में मेरी ये बात न आई। क्यों तुझको समझ में मेरी ये बात न आई।
पलक झपकते कहाँ ये गुज़रा कई महीने ये साल ठहरा पलक झपकते कहाँ ये गुज़रा कई महीने ये साल ठहरा
मेरे वो साल महीने ,मुझे वापस कर दे साथ गुजरे हुए लम्हे मुझे वापस कर दे! मेरे वो साल महीने ,मुझे वापस कर दे साथ गुजरे हुए लम्हे मुझे वापस कर दे!
यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है! यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है!
तुम्हीं हो मेरी हर इक ग़ज़ल में तुम्हीं प आके ख़्याल ठहरा तुम्हीं हो मेरी हर इक ग़ज़ल में तुम्हीं प आके ख़्याल ठहरा