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Shivanand Chaubey

Tragedy

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Shivanand Chaubey

Tragedy

गाँव

गाँव

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गाँव की मिट्टी की खुशबू अब पुरानी हो गयी

नीम के वो पेड़ पीपल पगडण्डी कहानी हो गयी।


सर्द मौसम में भुने आलू और रस गन्ने का जो था

आज बर्गर और पिज्जा की रवानी हो गयी।


खेत और खलिहान छूटे गाँव के चौपाल में

परिवार में न प्रेम अब नफरत की निशानी हो गयी।


लोरिया माँ की और दादी की कहानी अब नहीं

घर में लोगों का वो मिलना अब जुबानी हो गयी।


प्रेम व सद्भावना की बातें अब वो ना रही

आज जैसे डोर रिश्तों की अंजानी हो गयी !


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