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Shailaja Bhattad

Drama Inspirational

2.5  

Shailaja Bhattad

Drama Inspirational

गाना~2

गाना~2

1 min
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तारे अंबर में, मोती समंदर में,

जुगनू पवन में।

चमकते ख्व़ाब मेरे मन में,

हर पल लग रहा है नया, नया-सा,

समाँ बंध रहा है सुहाना, सुहाना-सा।


हर आलम बदल रहा है,

जादूगरी का यूँ नशा छा रहा है।

खिली, खिली-सी धूप खिलखिलाती हँसी,

कुछ भी रिक्त नहीं।


धूप छाँव का चक्र नहीं,

अब मुरझाने का कोई प्रश्न नहीं।

मेरे सपनों का जादू आँखों से झलक रहा है,

मन में सूरज लौ जला रहा है,

हर गम को दूर कर रहा है।


ख़ुशी के ख़्वाबों से हर सच्चाई पलट रही है,

खुद की ताकत ही पहचान बन रही है,

विचारों के जाले कट रहें हैं,

हाथों की लकीरों से बाहर निकल रहे हैं।


जीवन सहज बन रहे हैं,

ठोकर खो चुकी है मंज़िल दिख रही है।

सबसे निभ रही है,

मुस्कुरा के कट रही है।


सबकी ख़ुशी से ख़ुशी मिल रही है,

भावों को राह मिल रही है,

खुद की पहचान बन रही है,

साहस को पर मिल रहें हैं।


रस्ते मिल रहें हैं रस्ते बन रहें हैं,

मन की आँखें खुल गई हैं,

हर बाधा टल गई है।


आशा जग रही हैं,

विश्वास मिल रहा है,

सबका साथ मिल रहा है।

समझ ही समझ बढ़ा रही है,

मंज़िल खुद बुला रही है।।


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