माघ मास की पंचमी।
माघी का त्यौहार।
रंगों का त्यौहार, फसलों का त्यौहार।
मां शारदा का करते मिलकर सब श्रृंगार।
हंसवाहिनी छेड़े वीणा पर झंकार।
ज्ञान ज्योति अंतस का द्वार ।
वाग्देवी से अनुनय अपार ।
सर्व समर्थ सुरमई का
कुसुमाकर करे पीत पुष्पों से अलंकार।
इंद्रधनुषी संसार है, हर्ष उमंग अपार।
बसंत का त्यौहार है वसंत पंचमी संस्कार।
पीली सरसों है सजे बहे महकती बयार।
गेहूं की बाली खिले, झूमे जग संसार ।
आमों पर देख बौर, कोयल गाये बहार।
राग अनुराग का, उत्सव है सृजनकार का।
नव संस्कार का, चित्रकारों से भरे संसार का।
हरित परिधान है, कुहू की तान है।
मंडराते भ्रमर की, बढ़ रही शान है।
तितलियों का फूलों से मिलान है।
कर रही मकरंद का रसपान है।
किसान हो रहे खुशहाल हैं।
खेतों में फसलों का भंडार विशाल है।
भारत के अमृत काल में
मना रहे किसान अपना स्वर्णकाल है।