श्री राम
श्री राम
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राम की महिमा भक्त ही जाने
भक्ति में जो डूबा होए।
अहर्निश जो ध्यान करे
श्री राम-सा कर्मयोगी होए।
राम नाम के नित्य स्पर्श से मन होता निर्मल।
सद्भाव सबल हो जाता रहता नहीं निर्बल।
चैतन्य स्वरूप आदि पुरुष परम देव अद्वितीय हैं।
सृजन से विसर्जन तक लीलाएं ईश्वरीय हैं।