श्री राम
श्री राम
साक्षी बने हैं सौभाग्य हमारा।
रामलला ही सबका सहारा।
बंधुत्व ने है न को नकारा।
सुकर्म ने व्यक्तित्व निखारा।
घर-घर ने जब राम पुकारा।
हर्ष विषाद से हुए किनारा।
नवल धार अंतर उजियारा।
राम कृतित्व हर मन का सहारा।
घर-घर राम नाम जयकारा।
सतनाम की बहे पावन धारा।
जीवन ऊंचा पांच सितारा।
जन-जन ने जीवन है सँवारा।
मोक्ष मार्ग का लिया सहारा।
भव बंधन का मिटा अंधियारा।
निस्पृहता को सहज स्वीकारा।
ध्यान-ज्ञान का किया भंडारा।
काम, मोह, मद, दंभ भी हारा।
मेरे मन पर वर्चस्व तुम्हारा।
प्रभु चरणों में लिया सहारा।
श्री राम ने सहज स्वीकारा।
भवबंधन का मिटा अंधियारा।
तृप्त मन सर्वत्र उजियारा।