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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

एकांत का सुख

एकांत का सुख

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आप हंसते हैं, पूरी दुनिया आपके साथ हंसती है,

जब आप रोते हैं, तो आप अकेले होते हैं।

व्यथित दुनिया को खुशियां उधार लेनी पड़ती है,

इसकी झोली सदैव मुश्किलों से भरी रहती है।

जब आप गाते हैं, वादियां भी गुनगुनाती है,

जब आप कराहते हैं, फिर वह नहीं सुनती है।

प्रतिध्वनि बस केवल प्रमोद को चुनती है,

करुणा की पुकार को उपेक्षित वह करती है।


जब आप जश्न मनाते हैं, लोग आपको खोज लेते हैं,

जब आप शोक मनाते हैं, वो मुंह मोड़ चल देते हैं।

आपके उल्लास की वो तह तक जाते हैं,

पर आपके दर्द को वो नहीं देखना चाहते हैं।

जब आप प्रसन्न होते हैं, आप मित्रों से घिरे होते हैं,

जब आप चिंतित होते हैं, आप उन सब को खोते हैं।

आपके जाम के प्याले को कोई मना नहीं करता है,

विष का हर प्याला आपको स्वयं पीना पड़ता है।


जब आप दावत देते हैं, आपके घर में महफ़िल जमती है,

जब आप व्रत करते हैं, दुनिया आपको नहीं देखती है।

आप सफल हो दानी बन जीवन जी सकते हैं,

पर लोग आपको मरने से नहीं बचा सकते हैं।

सुख की दुनिया में अभी जगह खाली है,

हमारे पास एक लंबी और राजसी रेलगाड़ी है,

लेकिन उसमें हमको एक-एक करके चढ़ना है,

कष्ट के उस संकरे मार्ग से होकर ही गुजरना है।


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