एक फरिश्ता
एक फरिश्ता
मिला था सपनों में एक फरिश्ता
समझ ना आया उससे क्या है रिश्ता,
कभी मुझे यह दीपक-बाती सा नजर आया
जैसे भक्त ने था भगवान को पाया,
कभी मुझे है चंदन- पानी सा नजर आया जीवन को मेरे खुशबू सा महकाया,
कभी मुझे है चांद- चकोर सा नजर आया
दूर क्षितिज पर मिलन जिससे पाया,
कभी मुझे है फूल -धागा सा नजर आया
माला के रूप में बंधन सा पाया,
कभी मुझे है स्वामी-दास सा नजर आया
मीरा रूप में जिसे मैंने पाया।