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Madhuri Sharma(माधुरीशर्मा'मधुर')

Romance

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Madhuri Sharma(माधुरीशर्मा'मधुर')

Romance

एक फरिश्ता

एक फरिश्ता

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मिला था सपनों में एक फरिश्ता

समझ ना आया उससे क्या है रिश्ता,


कभी मुझे यह दीपक-बाती सा नजर आया

जैसे भक्त ने था भगवान को पाया,


कभी मुझे है चंदन- पानी सा नजर आया जीवन को मेरे खुशबू सा महकाया,


कभी मुझे है चांद- चकोर सा नजर आया

दूर क्षितिज पर मिलन जिससे पाया,


कभी मुझे है फूल -धागा सा नजर आया

माला के रूप में बंधन सा पाया,


कभी मुझे है स्वामी-दास सा नजर आया

मीरा रूप में जिसे मैंने पाया।



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