एक मैं और एक तुम
एक मैं और एक तुम
हर दिन में कुछ पल तो हो
जो सिर्फ तेरे और मेरे हो
जिसमे कोई तीसरा ना हो
उस पल में हम दोनों साथ हो
उसमे सिर्फ एक दूजे की बात हो
उन बातों को सुनने वाला कोई और ना हो
यूँ ही बैठे बैठे एक दूजे की बात
पर दोनों बेतहाशा हंस पड़ते हो
हँसते-हँसते एक दूजे की आँखों
से बरबस आसूं निकल पड़ते हो
उन आँसुओं को पोछने वाला
वहां कोई और तीसरा ना हो
बस मैं और तुम एक दूजे
के बहते आंसू पोंछते हो !
