STORYMIRROR

Usha Gupta

Tragedy

4  

Usha Gupta

Tragedy

एक कटु सत्य

एक कटु सत्य

1 min
485

( मुठ्ठी भर नारीयों का )


कितने रूप तेरे नारी

करती स्वागत पुत्र का गर्भ में

करती विनाश पुत्री का गर्भ में


कितने रूप तेरे नारी

करती विरोध दहेज प्रथा का

करती नहीं विवाह बिन 

दहेज पुत्र का


कितने रूप तेरे नारी

लगाती नारा 

नारी मुक्ति का

दिलाती मुक्ति नारी को 

जला शरीर नारी का


कितने रूप तेरे नारी

फूटता रोम रोम से झरना 

प्यार का, पुत्री के लिये

फूटता रोम रोम से लावा

ज्वालामुखी का, पुत्रवधु के लिये


कितने रूप तेरे नारी

करती सेवा माँ का, 

तन मन धन से

करती तिरस्कार सासू माँ का, 

तन मन धन से


कितने रूप तेरे नारी....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy