एक खास जगह पाइये
एक खास जगह पाइये
पी के शराब जब वो घर आये
हमेशा के राम आज रावण नज़र आये।
राह देखते-देखते निकल गए तारे,
दिन के दो बजे आने वाले रात के 12बजे पधारे।
डगमगाते कदम हाथों को यहाँ-वहाँ मारे
अन्दर घुसे भी नहीं थे कि,श्रीमती चिल्ला पड़ी-
ये वक्त है आने का। श्रीमान बोले-
नहीं मैडम ये वक्त है नहाने का।
चलो आओ सब मिल कर नहाते हैं।
दोनों में छिड़ने लगी बहस।
और सारा सामान होने लगा तहस-नहस
बैडरूम बाथरूम नजर आने लगा।
तब जाके कहीं कुछ शोर थमा।
बच्चों का हुआ बुरा हाल,आँसुओं से भीगा रुमाल।
खाना तो दूर नींद का भी नहीं रहा ख्याल
सोचा करेंगे थोड़ी पढ़ाई,तभी छिड़ गई लड़ाई।
जाके बेचारे कोने में दुबके
वहीं से तमाशा देख रहे हैं चुपके।
वो बेचारे किसे समझाएं, जिन्होंने बनानी है
जिंदगी उनकी वो देखो कैसे झगड़ रहे हैं।
अपने बच्चों को देखिये,
कैसे संस्कार प्रदान कर रहे हैं ?
बुरे ज़नाब आप नहीं बुरी तो शराब है
छोड़ डालिये इस बुराई को,
कुछ अच्छे इल्मों को अपनाइये।
अपने और अपनों के बीच
एक खास जगह पाइये।
