एक गलती सब पर भारी
एक गलती सब पर भारी
यह जिंदगी है जनाब
और इंसान गलतियों का पिटारा है
कभी-कभी वह अपनी बात को मनवाने के लिए
बहुत बड़ी गलती अपने आप से कर बैठता है।
दूसरों की गलती से ही कुछ सीख लो तो अच्छा है।
अपनी गलती के बाद तो हर कोई सीखता है
तो चलिए आज हम इस पुरानी बात दोहराते हैं।
औरआज फिर एक पुरानी याद आ गई
एक गलती कहने पर कुछ याद आ गया
इल्तजा है मेरी हर किसी से।
जिंदगी में जिद और गुस्से में आकर खिलवाड़ ना करें अपने आप से।
क्योंकि पड़ जाती है, कभी-कभी वह बहुत महंगी
कहने को तो होती है एक गलती, मगर बिगाड़ देती आपकी ज़िंदगी है।
कर देती है दूसरों के ऊपर निर्भर आपकी जिंदगी।
इसीलिए कहती है विमला अपने आप से कर लो तुम दोस्ती।
अपने स्वास्थ्य का रखो तुम अपने खुद ध्यान।
कभी-कभी गुस्से में आकर दवाइयों का ना करो तुम अनदेखा ध्यान।
क्योंकि कुछ बीमारियों की दवाईयां बहुत जरूरी होती है।
जो समय पर ली जाए तो आपकी जान भी बच सकती है।
दूसरे को तड़पाने में अपनी ज़िदों को मनवाने में
आप कहीं अपने आप से खिलवाड़ ना कर बैठे।
ईश्वर का बुलावा तो जब आना है तब आएगा,
उससे पहले बिस्तर से आप प्यार ना कर बैठे।
नियमित जीवन कसरत संतुलित आहार को जिंदगी में स्थान दे बैठे।
तो जिंदगी में कभी पछताने का समय नहीं आ पाएगा।
जो आए कभी तो आपको छूकर निकल जाएगा।
क्योंकि वह अपने बैठने का स्थान नहीं पाएगा।