रहतीं हूँ सयानी बनकर
रहतीं हूँ सयानी बनकर
वो बातें सारी दिल ही समझे
और न समझे कोई
आंसू तो अब जीवन में सूखे
जाने कब तक दिल रोए
तू गया और ना आया कभी
ना ही देखा कभी पीछे मुड़कर
अब जाकर पता चला मुझे कि
रिश्ता गया था तू तोड़कर
आजकल लोग भी क्या खूब
समझाते रहते हैं मुझको
कहते हैं नई शुरुआत करूँ
मैं भूल कर तुम सबको
जाने कैसे मैं हर बार
दिखावा करतीं हूँ
विरह में अब ना जीती
और ना ही मरती हूँ
तू क्या जाने क्या क्या
आखिर बीती हैं इस मन पर
रहते हूँ मैं सबके सामने
फिर भी बड़ी सयानी बनकर!
