The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW

चिड़िया (लड़की)

चिड़िया (लड़की)

1 min
711


चिड़िया हूँ मैं

बस उड़ने दो मुझे

साँस तो चलती है

पर कभी तो जीने

भी दो मुझे।


क्यूँ बार बार

क़ैद करना है तुम्हें

मुझे

अपनी नज़रों में

अपनी बाहों में

कभी बीच में

किसी राहों में

चार दीवारों की

अनचाहा पनाह में

क्यूँ रखना है तुम्हें

कैद मुझे?


हक़ क्या मेरा नहीं

मुस्कुरा के मैं भी

साँस लूँ

हक़ क्या मेरा नहीं

दूर गगन में

मैं भी उड़ सकूँ

क्यूँ है काम मेरा

बस तेरे काम आना

तूझे मोह है मेरा

तो बस तेरी मोह में

मोह जाना

दर्द का मेरे एक

हिसाब अलग है

तेरे बेदर्दी का कोई

जवाब नहीं


तू हँसता है इसलिए

तू हँसता है इसलिए

मेरे कदम में

बेड़ियाँ पड़ती हैं

लगता है समाज के

ज़हन का

कोई दूजा स्वभाव नहीं।

कोई तो हो

जो जिस्म से उभर

कर आए

कोई तो हो

जो सीने की धड़कन

बन पाए

कोई तो हो

जो पलकें झुका कर भी

क़ैद कर ले


कोई तो हो

जो बिन दीवारों के

घर कर जाए

जिसकी आहट से

मेरे कदम ना डगमगाए

जिसके सामने होने पर

मुझे खुद पे शरम ना आए


कोई तो हो

जो कैदी बना कर नहीं

मुझे सिर्फ चिड़िया होने

का एहसास दे

आसमान में उड़ने दे

ज़िन्दगी की एक

नई आस दे

दबी दबी सहमी

सहमी सी नहीं

खुल के जीने वाली साँस दे।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Aradhana Mishra

Similar hindi poem from Tragedy