एक दूजे में हम शामिल भी तो है
एक दूजे में हम शामिल भी तो है


धड़कते है जो एहसास दिल में मेरे
धड़कनों में तुम्हारी शामिल भी तो है।
नींदो का आना जाना नहीं,
रातें जागती है,
यादों में तुम्हारा आना जाना जारी भी तो है।
कई राहें मिलती है अब भी कहीं,
गुजर जाती है वो थोड़ा अजनबी बनकर,
छुप-छुप कर देखती है नजरें,
थोड़ी पहचान नजरों में अब भी शामिल तो है।
कुछ शामें पिघली है तुम्हारी बाहों में,
कुछ लम्हों में नजदीकियों की तपिश भी तो है,
छूकर गुजरती है जो हवाएं हमें ,
सांसे उनमें हमारी शामिल भी तो है।
कभी जो तुम तन्हा होते हो,
क्या मैं साथ होती नहीं ?
कभी जो मैं अकेली हुई ,
क्या तुम्हें संग बैठे पाया नहीं ?
कहां ढूंढूँ मैं तुम्हें ?
कहां पाओगे तुम मुझे ?
एक दूजे में हम शामिल भी तो है।