एहसास
एहसास
नींद नहीं नैनों में फिर भी सपने तुम्हारे आते हैं,
जो कभी सामने थे आज नैनों से छिप जाते हैं,
मन की बातें दिल तक आते- आते रह जाती हैं,
इसका एहसास नहीं तुम्हें कितना हमें तड़पाती है,
विस्मृत की तम रजनी में बिखरे अतीत की यादें हैं,
नयन कमल मन के उपवन में फिर वही बरसाते हैं,
सपनों के पंख मुझे लेकर चलती नित नई बहारों में,
हवा संग उड़कर पुलकित हो उठता हूँ मैं सितारों में,
तुम्हारी यादें मन में नदियों सा हरदम बहती रहती है,
हर एहसासों में याद तुम्हारी अंतर्मन को समझाती है,
इसका एहसास नहीं तुम्हें हमने जो दुनिया बसाई है,
अपने मन के उपवन में प्यार की कलियाँ खिलाई है II