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Kusum Lakhera

Tragedy Others

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Kusum Lakhera

Tragedy Others

दुःख की सफ़ेद चादर

दुःख की सफ़ेद चादर

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दुःख की सफेद चादर से 

वह अब भी घबराती है

सुख की सुनहरी सुबह 

उसके पास कहाँ आती है !

सुख की नदिया ...

उसके सामने से ही गुजर जाती है

वह सुख के झरने के पानी से

कहाँ प्यास बुझा पाती है !

दुःख के सफ़ेद अश्रु कण ही

 वह आँखों में तैराती है !

सुख के सुनहरे मोती ...

वह कहाँ आँखों से झलकाती है !

दुःख धरोहर की तरह....

 दामन में वह अपने हर रोज़ पाती है!

सुख के सागर से आनंद के मोती...

 वह कहाँ चुन पाती है !



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