दर्द
दर्द
मेरे अतीत के
दफ़न दस्तावेजों का
हर एक सफ़ा
बयाँ करता है जिंदगी में
उन लम्हों को
जो मैं संजो कर रख सकता था
मेरी बेहतरी के लिए
खर्च कर दिया उन्हे भी बनाने को
मुस्तकबिल अपनों ही का
कभी तेज हवा का झोंका
दूर कर देता है
दस्तावेजों पर पड़ी गर्द को
फिर मानो बोलने लगते हैं
हर सफे पर लिखे
धुंधले होते मेरे आंसुओं और
पसीने की स्याही से लिखे हर्फ़
कराने को अहसास
ज़िंदगी में मेरी जद्दोजहद
और दुश्वारियों का
मेरी कुर्बानियों का
मायने नहीं है जिनके आज
नाकाफ़ी है
बेफिक्र मेरे अपनों के लिए
दूर नहीं होती गर्द जब तक
मेरे अपनों की खुदगर्ज़ी की …...