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Meera Raikwar

Tragedy

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Meera Raikwar

Tragedy

दर्द आंसुओं में बह रहा है..

दर्द आंसुओं में बह रहा है..

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कायनात भी खामोश है

  आज विरह की रात है

   बिछड़ने का वियोग इतना

    देख एक दूजे को

     सिवा रोने के सूझ रहा न कुछ

       कि मूक हुई वाणी

        दर्द आंसुओं में बह रहा है

तन मन की सुध खोयी

  लता सी आलिंगित प्रेयसी 

   आज प्रियतम की आगोश 

     जितनी देर मिले कम है

      बह रही अश्रु धारा मूक हुयी वाणी

        दर्द आंसुओं में बह रहा है

अब के बिछड़े न जाने

  फिर कब कहां मिलेंगे

    पूछ पा रहा है कोई

      न बता पा रहा है कोई

        बिछड़ने का वियोग इतना

         कि मूक हुई वाणी

           दर्द आंसुओं में बह रहा है


              


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