दोस्ती
दोस्ती
उन गलियों को छोड़ दिया
उन रहो से मुँह मोड़ लिया
अपनी यारी के किस्से जहां
आज भी गूंजा कराती है
अब बची रही कुछ खास नहीं
उन उम्मीदों की प्यास नहीं
तेरे घर के चौबारे पर अब भी
आवाज़ जो गूंजा करती है
वो जुटे में चिरकुट रखना
पीछे से यूँ पेपर तकना
हिंदी वाली मिस हमेशा
याद अभी भी करती है
वो रातों को पढ़ने जाना
एक दूजे के घर चढ़ आना
किताबे पिली पन्नी के अब भी
हर रात वही पर रहती है
वो सिगरेट पीना साथ में
दारू की बोतल हाथ में
संग में जो पटाई थी जो
वो भाभी पूछा करती है
हर लड़की को तकते रहना
ठंडी ठंडी आहें भरना
शर्मा के बेटी गौरी अब भी
गाली बकती रहती है
कालेज का वो बंक करना
पहले शो में हर पिक्चर जाना
बालकोनी की वो पहली सीट
फ़रियाद हमेशा करती है
वो मोमो खाना उधारी में
ग़ुम होना अपनी बारी में
चटनी तीखी वाली अब भी
चटकार हमेशा लेती है
फिर तेरा यूं चले जाना
हफ्तों तक खत नहीं आना
चिट्ठी की रहे अब भी
मेरी आँखे देखा करती है
साथ जो अपना छूट गया
फिर सबसे नाता टूट गया
हर आँख में तेरी आँखों को
मेरी नज़रे ढूँढा करती है
मैं खड़ा रहा तू चला गया
मैं पलटा और तू पलट गया
मुड़ जाने की चोट हमको
अब तक कचोटा करती है
कई यार तूने बना डाले
यादें सभी मिटा डाले
एक दोस्त की कमी मगर
हमें अब भी खलती रहती है।