दिया और जीनू
दिया और जीनू
आओ अलादीन जल्दी आओ,
चिराग को तुम,
घिस कर तो दिखाओ,
जब यह दिया घिस जाएगा,
और घिस कर चमक जाएगा,
झट से दिये का जिन्न,
भी प्रकट हो जाएगा,
जिन्न से तुम कहना,
ना अब बंद तुम,
दिए मेंं रहना,
घर के सारे काम,
तुम दिये के,
जिन्न से करवाना,
कपड़े बर्तन और,
खाना पकवाना,
वापस उसे दिए में जाने देना,
मम्मी को होगा,
कितना आराम,
अब दिए का जिन्न, आएगा,
हमारी मम्मी,
के काम,
मम्मी कितना थक है, जाती,
सुबह से उठकर,
कितना काम कर जाती,
अब मम्मी करेगी,
आराम,
अब हो जाएगी,
मम्मी की जिंदगी आसान,
जिन्न से मम्मी,
सुबह की चाय बनवाएगी,
नहीं बनी अच्छी,
तो फिर मम्मी,
उसकी झाड लगाएगी,
फिर होगी जिंन्न की,
परेड शुरू,
उसको भी नहीं पता,
हमारी मम्मी,
उसकी कैसे बैंड बजाएगी,
सुबह चाय,
फिर चाय, नास्ता,
दूध और दूध के साथ,
हमें चाहिए,
पास्ते का नाश्ता,
जिन्न बेचारा,
ना एक पल को
आराम करने पाएगा,
कोशिश,
वापस दिए में,
जाने की वह कर जाएगा,
थोड़ी ही देर में,
खाने का भी समय हो जाएगा,
जिन बेचारा सब्जी काटे,
मम्मी बात-बात पर,
उसको डाटे,
मम्मी डांट डांट कर,
बेचारे जिन्न,
पर तफरी गाठे,
जिन्न हो गया,
हैरान-परेशान,
रोटी नहीं,
हम रोज खाते,
हम नन्हे शैतान,
जिन्न से रोज पराठे,
और पूरी बनवाते,
जिन्न मम्मी के काम करे,
होकर कितना हैरान और परेशान,
जिन्न बेचारा थक है, जाता,
पर कोई शिकायत वह ,
मम्मी से नहीं कर पाता,
जैसे ही वह करें आराम,
मम्मी कर दे,
उसका काम तमाम,
डस्टिंग, खाना, कपड़े,
बर्तन और भांडे,
बच गया अगर समय तो,
पानी पौधो मे डलवादे,
फिर भी अगर,
बच गया समय तो,
पापड धूप में डलवा दें,
जिन्न बेचारा,
मम्मी के डर से,
कितना और काम संभाले,
डर के मारे,
पूरे घर में वह,
इधर-उधर है भागे,
जिन्न बेचारा डर के मारे,
वापस दिए में घुसने को झांके,
मम्मी संभाले,
कितने काम,
बाप रे बाप !
में तो थक गया हे राम,
काम से बेहाल परेशान,
डर के मारे,
एक दिन जीनू भागा,
वापस दिये में ,
खुद को घुसा डाला,
नहीं कर पायेगा,
जीनू,
मम्मी,
जितना घर का काम,
बाय-बाय !
अलादीन,
और उनका जीनू प्यारा, दियाराम,
मम्मी है, हमारे घर की शान,
दिया वही है
और वही दिए का जिन्न भी,
मम्मी के आगे,
दिया और जिन्न,
भी बेकाम,
बस मम्मी ही आए,
घर, और हमारे काम।
