दीपावली का आधार
दीपावली का आधार
चंद दीप जले,
कुछ फूल खिले,
लोगों ने कहा,
है दीपावली।
सन्नाटा है मन में,
दिल में अंधेर है फैली,
कोई यश माँगा,
कोई वैभव,
कोई सोने की सौगात।
मासूम बच्ची ने माँ से,
माँगी सिर्फ "भात ",
विवश हाथों ने,
बच्ची को सहलाया,
भात तो दे ना सकी,
बस छाती से लगाया।
जन-जन की सेवा करे,
कहलाये सरकार,
हाथ धरे देखा करे,
जब ना हो आधार।
हे सुखों की स्वामीनी,
एक तेज दे अपने रुप का,
भोग विलास भले ना दे,
नाम मिटा दे भूख का।
एक बूंद दे अपने स्नेह का,
हो जाए यहाँ भी हरियाली,
जल जाए दीप प्रेम का,
मन जाए "वंदे" की दीपावली,
मन जाए "वंदे" की दीपावली।