तुम मिले
तुम मिले
सबेरा होना
शाम ढलना
यूँ ही नहीं
गुजरा कभी l
सबेरे और साँझ के
बीच
पूर्ण होती हैं
कई जिम्मेदारियां l
समय के
छोटे हिस्सों
में बंटे
कई पूर्ण काम l
समय चक्र और कार्य चक्र
समानुपात
साथ-साथ
इसी बीच
तुम क्या मिले 'वंदे'
बेपरवाही ने घेरा मुझे.....
और
बढ़ गई है लापरवाही ।